विक्सन सिक्रोड़िया, कानपुर
भूकंप के बाद हुई बारिश शहर की उन इमारतों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है जिनमें झटकों से दरार आ गई है। इसके अलावा दरकती व जर्जर इमारतों को भी यह बारिश धराशायी कर सकती है। एचबीटीआई के एसोसिएट प्रोफेसर डा. प्रदीप कुमार बताते हैं कि जैसे हड्डी में चोट लगने के बाद वह टूट जाती हैं या उनमें हेयरलाइन फ्रेक्चर हो जाता है। ठीक उसी तरह भूकंप के झटकों में कुछ इमारत नेस्तोनाबूत हो जाती हैं तो कुछ में गाढ़ी व हल्की दरारें आ जाती हैं।1ऐसी दरारों को उस बारिश से सबसे ज्यादा खतरा रहता है जो भूकंप के बाद होती है। दरारों में पानी का रिसाव होता है, जिससे मैटिक्स कंक्रीट कमजोर हो जाती है। अगर ऐसे समय में बारिश का पानी सरिया में चला जाए तो वह इमारत को अंदरूनी चोट देता है। ऐसी इमारतों को बचाने के लिए मैटेलिक सपोर्ट की जरूरत होती है। भूकंप के बाद हुई बारिश 15.8 मिमी दर्ज की गयी।
छह मैग्नीट्यूड से अधिक की तीव्रता ङोलने के लिए तैयार नहीं इमारतें : नेपाल में पिछली बार आए भूकंप का अध्ययन करने वाले डा. प्रदीप बताते हैं कि कानपुर की अधिकांश इमारतें छह मैग्नीट्यूड से अधिक की तीव्रता ङोलने के लिए तैयार नहीं हैं। शहर में अंडरग्राउंड काम हो रहा है वहां की तुलना में कानपुर में खतरा जरूर कम है। लेकिन 17 दिन में दूसरी बार करीब उतनी ही तेज तीव्रता के भूकंप का आना बड़े खतरे का संकेत है।1जेसीबी से तोड़ दिए तीन कमरे1चकेरी थानाक्षेत्र के परदेवन पुरवा के प्रेमचंद्र जायसवाल का कई साल पुराना एक हाता है, जिसमें कई किराएदार रहते हैं। यहीं रहने वाले किराएदार भूपति, नगन और श्यामचंद्र से प्रेमचंद्र का मकान पर कब्जे को लेकर विवाद चल रहा है। मंगलवार दोपहर जब शहर में भूकंप के झटके महसूस हुए तो प्रेमचंद्र ने एक किराए पर जेसीबी मशीन बुलवाई और तीनों के कमरे गिरवा दिए। उस दौरान सभी लोग घरों से बाहर थे, तो कोई इसका विरोध नहीं कर पाया। इसके बाद उन्होंने यह अफवाह फैला दी कि भूकंप से यह कमरे गिरे हैं। बुधवार देर रात चौकी इंचार्ज के बुलाने पर प्रेमचंद्र चौकी गए, जहां पूछताछ के लिए उन्हें चौकी में बैठा लिया गया।